सम्पादकीय
देश-विदेश की समसामयिक घटनाओं, राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक पहलुओं से जुड़े विषयों और इन से संबंधित फैसलों, नीतियों पर पैनी निगाहों और सधी कलम से लिखे उनके संपादकीय समयातीत हैं। एक संपादक को किस तरह संतुलन के साथ अपने विचार पाठकों के सामने रखने चाहिए और फिर पाठकों को निर्णय लेने की स्वतंत्रता देनी चाहिए, ये सीख ललित जी के संपादकीय आलेखों से मिलती है।